करेंगे या मरेंगे (काउंटी कलेन)

इस कविता से एक रोचक प्रसंग जुड़ा हुआ है। भारत छोड़ो आंदोलन के शुरू होने के 10 दिनों के अंदर, 19 अगस्‍त 1942 को अमेरिका में एक कविता अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी। प्रसिद्ध अफ्रीकी-अमेरिकी कवि काउंटी कलन की इस अंग्रेजी कविता का शीर्षक था ‘करेंगे या मरेंगे’, डू ऑर डाय’ नहीं, ‘करेंगे या मरेंगे’। सोचने की बात ये है कि आखिर अंग्रेजी में लिख रहे इस अश्‍वेत संघर्ष के कवि ने ‘करेंगे या मरेंगे’ का अंग्रेजी अनुवाद न करके अपनी अंग्रेजी कविता का शीर्षक गांधी के शब्‍दों को ज्‍यों का त्‍यों रखा, जबकि हमारे देश के अनुवादक और इतिहासकर्मी ‘करो या मरो’ क्‍यों लिखने लगे ?

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